गंगा पुत्र भीष्म

Posted on 02-May-2015 11:10 AM




महाभारत के आदिपर्व में वर्णित वह कथा अत्यंत रोमांचकारी है। आठ वसुओं ने माता गंगा से प्रार्थना कि उन्हें शापवश धरती पर जन्म लेना होगा। अतः वे उन्हें स्त्री रूप में जन्म देने का अनुग्रह करें। गंगा ने उन्हें वचन दिया कि वे आठ वसुओं को जन्म देकर उन्हें शीघ्र ही उस शरीर से छुटकारा दिलाने के लिए जल में प्रवाहित कर देगी। ब्रह्मा के शाप के कारण कालांतर में गंगा भी हस्तिनापुर के राजा शांतनु की पत्नी बनी। विवाह के अवसर पर उन्होंने राजा शांतनु से यह वचन मांगा कि वे जब कभी उन पर क्रोध करेंगे तो वे देवलोक चली जाएगी। इस प्रकार राजा प्रतीप के पुत्र शांतनु से गंगा ने कुछ शर्तों के साथ विवाह किया। लेकिन जब गंगा को पुत्र उत्पन्न हुए तो गंगा एक-एक पुत्र को जल में विसर्जित करती रही। गंगा के इस विचित्र कृत्य से शांतनु दुःखी रहने लगे। शांतनु का धैर्य आठवें पुत्र के समय जवाब दे गया और उन्होंने गंगा से क्रोधपूर्वक उत्तर मांगा। माता गंगा ने अपने वचन के अनुसार आठवां पुत्र राजा शांतनु को सौंपा और आठ वसुओं के शाप की कहानी बताई। माता गंगा के ये अष्टम पुत्र देवव्रत थे, जो बाद में दृढ प्रतिज्ञा करने से भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए।


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