प्रभु के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें

Posted on 01-Aug-2016 12:22 PM




ध्यान टिकाने की कला बहुत से लोग सीखना चाहते हैं, परंतु अलग-अलग कारणों से। कुछ लोग शांति पाने के लिए इसे सीखना चाहते हैं तो कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ के लिए। कुछ लोग इसका अभ्यास अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए करते हैं, ताकि अपने काम या अध्ययन में बेहतर हो पाएं। कुछ इसलिए सीखते हैं कि मानसिक या अलौकिक शक्तियों का विकास कर सकें। कुछ लोग ध्यान-अभ्यास इसलिए करते हैं कि वे प्रभु को पाना चाहते हैं। प्रार्थना एवं ध्यान-अभ्यास के सभी फायदों में से सबसे बड़ा फायदा है, प्रभु से एकमेव होना। हम अपने अंदर विद्यमान ज्योति एवं श्रुति से जुड़कर परमात्मा का अनुभव कर सकते हैं और इस धारा से जुड़कर हम परमात्मा की गोद में पहुँच सकते हैं। बहुत से लोग अपने बारे में बहुत बढ़-चढ़कर सोचते हैं। हम सोच सकते हैं कि शारीरिक रूप से हम बहुत ताकतवर हैं, बहुत सुंदर हैं, अपनी बौद्धिक क्षमता या अपनी उच्च शिक्षा के कारण अहंकार कर सकते हैं। हमें अपनी नौकरी, अपने काम या अपनी पदवी का भी अहंकार हो सकता है। हमें इस बात का भी अहंकार हो सकता है कि हम धनी हैं या हमने इस भौतिक संसार में अपने लिए एक साम्राज्य स्थापित कर लिया है। ये सभी परिस्थितियाँ हमें ऐसा बना देती हैं कि हम दूसरों को अपने से हीन समझने लगते हैं। जब तक हम ऐसी अवस्था में रहते हैं, तब तक हम किसी दूसरे की सहायता करने के योग्य नहीं रहते हैं। यदि हम धनी हैं तो किसी की आर्थिक रूप से मदद कर सकते हैं। अगर हम शक्तिशाली हैं तो किसी की शारीरिक रूप से मदद कर सकते हैं। परंतु इस प्रक्रिया में अगर हम अहंकार की भावना रखते हैं तो वह मदद हमारी आध्यात्मिक प्रगति में उपयोगी नहीं होगी बल्कि बाधक होगी। आध्यात्मिक प्रेम हमें हर पल पुकार रहा है। यदि हम अपनी नजरें उस दिशा में घुमाएं और पूरी निष्ठा के साथ प्रभु के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें, तो प्रभु हमारा जवाब अवश्य देंगे। यह विश्वास करना कठिन है, परंतु वह एक मात्र वस्तु, जो हमें सदा-सदा के आनंद एवं प्रेम से अलग रखती है, हमारा अहम ही है। हमारी बुद्धि एवं अहम हमें भौतिक दुनिया में खुशी की खोज में लगाए रखते हैं। यदि हम रुक जाएँ, अपने अंदर की शांत-अवस्था में स्थित हो जाएँ और प्रभु से प्रार्थना करें तो वे निश्चित रूप से हमारे सम्मुख प्रकट होंगे। वे हमें इस दुनिया के मायाजाल से ऊपर उठा लेंगे और दिव्य प्रकाश के मंडलों में ले जाएँगे जहाँ हम अमर-प्रेम के सोते से जी भरकर प्रेमामृत पी सकेंगे।


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