आत्म श्रद्धा, ईश्वर, विश्वास

Posted on 11-Jul-2016 11:29 AM




अपनी आत्मसत्ता पर श्रद्धा जहाँ एक छोर होता है, वहीं ईश्वरीय आस्था इसका दूसरा छोर। आध्यात्मवादी अपनी आध्यात्मिक नियति पर दृढ़ विश्वास रखता है और अपने पुरुषार्थ के बल पर अपने सत्कर्मों के आधार पर अपने मनवाँछित भाग्य निर्माण का प्रयास करता है। साथ ही वह ईश्वरीय न्याय व्यवस्था को मानता है। दूसरे जो भी व्यवहार करें, अपने स्तर को गिरने नहीं देता। व्यक्तित्व की न्यूनतम गरिमा एवं गुरुता अवश्य बनाए रखता है। अपनी पूरी जिम्मेदारी आप लेता है, अंदर ईमान तथा ऊपर भगवान के साथ जीवन के रणक्षेत्र में प्रवृत रहता है।


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