मौसम के प्रति अतिसंवेदन-शीलता से अस्थमा होता है

Posted on 24-Jan-2016 10:05 AM




अस्थमा (दमा) यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ है सांस लेने के लिए ज़ोर लगाना। यह ऐसी बीमारी है, जो मनुष्य के फेफड़ों के किसी पदार्थ या मौसम के प्रति अतिसंवेदनशील होने के कारण होती है। इससे पीडि़त व्यक्ति की श्वास नलिकाओं की भीतरी दीवारों पर सूजन आ जाती है। इसी संकुचन के कारण सांस लेने में परेशानी होती है और रोगी के फेफड़ों तक भरपूर आॅक्सीजन नहीं पहुंच पाती।
अस्थमा के कुछ मामलों में सांस की दिक्कत नहीं होती है, सिर्फ रात के समय खांसी आती है। ऐसे ही सांस की हर समस्या अस्थमा नहीं होती, इसलिए दिक्कत होने पर विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है।
लक्षण और इलाज -
जल्दी-जल्दी सांस लेना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी के कारण नींद में रूकावट, सीने में कसाव या भारीपन, अक्सर सांस फूलना और पूरे शरीर में खिंचाव महसूस होना जैसे लक्षण अस्थमा का संकेत देते हैं। मर्ज़ के आधार पर अस्थमा रोगियों को दवाओं या इनहेलर के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। होमियोपैथी चिकित्सा प़द्धति भी काफी मददगार हो सकती है।
सांस लेने में होने वाली परेशानी के पीछे अनेक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
आनुवंशिकता -
उन बच्चों में अस्थमा की शिकायत ज्यादा होती है, जिनके परिवार मंे पहले से किसी को यह समस्या रही हो।
एलर्जी -
तरह-तरह की एलर्जी। मसलन, खाने-पीने की चीज़ों, धूल-मिट्टी, सीलन, पालतू जानवरों आदि के सम्पर्क में आने के कारण।
संक्रमण -
श्वास नली में बैक्टीरिया और वायरस का संक्रमण।
बदलता मौसम -
ठंड के मौसम में यह समस्या काफी बढ़ जाती है।
प्रदूषण -
लगातार बढ़ता प्रदूषण भी अहम वजह साबित हो रहा है।
मनोवैज्ञानिक वजह -
अक्सर डरे-सहमे बच्चों के अंदर घबराहट की एक प्रवृत्ति विकसित हो जाती है, जो आगे चलकर सांस की दिक्कत में बदल जाती है।
धूम्रपान -
धूम्रपान की लत के कारण भी अस्थमा हो सकता है।
सावधानी
धूल से बचें- 50-80 फ़ीसदी लोगों को डस्ट एलर्जी के चलते सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए घर और आॅफिस की साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखें। चादर और मनपसंद स्टफ्ड खिलौनों को हर हफ्ते धोएं। बाहर जाते समय मुंह पर सूती कपड़ा बांध सकते हैं।
एलर्जी - 6 फ़ीसदी लोगों की परेशानी खाने-पीने की चीज़ों से होने वाली एलर्जी के कारण बढ़ जाती है। एलर्जी की जांच कराएं और संबंधित कारक से परहेज़ करें।
धूम्रपान का धुआं - धूम्रपान करने वाले और सम्पर्क मंे आने वाले दोनों तरह के लोगों के लिए हानिकारक होता है। इससे दूरी बनाएं।
पालतू जानवरों से दूरी -अस्थमा रोगियों को पालतू जानवरों के समीप न जाने की सलाह दी जाती है। यदि आपके पास हैं, तो उन्हें हर हफ़्ते नहलाएं और डाॅगी-बिल्ली आदि को फर्नीचर या बिस्तर पर बैठने की आज़ादी न दें। 
परागकण हैं वजह -फूलों के परागकण केे सम्पर्क में आने के कारण भी अस्थमा अटैक आ सकता है। दोपहर के वक़्त (जब परागकणों की संख्या बढ़ जाती है) बाहर काम करने या खेलने से खेलने से परहेज़ करें। बगीचे या पत्तियों के ढेर में भी काम न करें।


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