महत्वपूर्ण औषधि है हल्दी

Posted on 15-May-2015 10:47 AM




प्राचीन काल से भोजन में तथा घरेलू उपचार के रूप में हल्दी का उपयोग होता रहा है। हल्दी का सबसे ज्यादा उपयोग दाल-साग में होता है। इसके उपयोग से दाल-साग का रंग पीला होता है और स्वाद भी बढ़ता है।


बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, मद्रास, देहरादून आदि स्थानों में हल्दी की बोआई की जाती है। गुजरात में खेड़ा और सूरत जिले में इसकी फसल अच्छी होती है। वीसनगरी हल्दी प्रसिद्ध है, परन्तु आजकल वीसनगर के आस-पास में इसकी बोआई नहीं होती। हल्दी रेतीली बेसर जमीन में खूब होती है। हल्दी का पौधा कमर तक ऊँचा बढ़ता है। वह सुगंधयुक्त होता है। उसके पत्ते केले के पत्ते जैसे होतेे हैं। वे सुगंधवाले, दोनों ओर चिकने तथा सफेद दागवाले होते हैं। उसके कंद से जमीन में गाँठें निकलती हैं। ये गाँठें भीतर से तेजस्वी पीले रंग की होती हैं। इन गाँठों को हल्दी कहते हैं। हल्दी को पानी (सिंचाई) की खूब जरूरत पड़ती है।

हल्दी दो प्रकार की होती है-एक लोहे-सी सख्त हल्दी, जो रंग बनाने के काम आती है। दूसरी नरम सुगंधित हल्दी, जिसका मसाले के रूप में उपयोग होता है। जंगल में उत्पन्न होने वाली एक अन्य प्रकार की हल्दी को ’आम-हल्दी’ कहते हैं। मसाले के रूप में इसका उपयोग नहीं होता, परंतु यह रक्तविकार और खुजली मिटाती है।


हल्दी की गाँठों को जमीन खोदकर निकाला जाता है। फिर उन्हें साफकर, मटके में भरकर, उसका मुँह बंदकर, आग की धीमी आँच पर पकाकर, उनकी कच्ची गंध दूर की जाती है। इसके बाद उसे सुखाकर बेचने के लिए तैयार किया जाता है। हल्दी एक महत्त्वपूर्ण औषधि है, किन्तु लोग औषधि के रूप में इसका पूरा-पूरा उपयोग नहीं जानते। हल्दी बच्चों, युवकों, वृद्धों, óियों, सगर्भा óियों आदि सभी प्रकृति के व्यक्तियों को निर्भयतापूर्वक दी जा सकती हैै। उसके सेवन से कोई नुकसान होने का डर नहीं रहता। वात, पित्त और कफ इन तीनों दोषों की विकृति पर हल्दी का उपयोग होता है। हल्दी में लहू को शुद्ध करने का गुण है। यह शरीर के लहू को शुद्धकर शरीर के वर्ण को भी सुधारती है।

लग्न के समय हल्दी लगाने-उबटन करने का यही कारण है। हल्दी में अतिरिक्त कफ तथा आम को पचाने-जलाने का भी विशेष गुण है। अतएव खाँसी के रोगी को गर्म दूध में हल्दी डालकर पिलाने का रिवाज है। शरीर में उत्पन्न होने वाली विकृतियों का नाश भी हल्दी से होता है। इस प्रकार हल्दी अनेक रोगों की सस्ती, घरेलू, रामबाण औषधि है। उपरान्त, कपड़ों को छापने व रंगने में भी हल्दी का उपयोग होता है। हल्दी और चूने के योग से कुंकुम बनता है। इसके उपयोग से सभी परिचित हैं। हल्दी प्रमेह-नाशक होने के कारण कुछ आचार्यों ने इसे ’मेहघ्नी’ कहा है।


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