ग्रीष्म ऋतु का वैद्य-पुदीना

Posted on 23-Jun-2015 03:05 PM




हर मौसम की समस्याओं का समाधान भी प्रकृति में मौजूद है। बस उन्हें जानने की जरूरत है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से बचाव के लिये कई जड़ी-बुटियाँ व वनस्पति मौजूद है। इनमें से ही एक है, पुदीना। पुदीना सर्वसुलभ कम जगह में बिना जड के ही आसानी से लगने वाला व सुगंध में मन को मोहने वाला होता है। वैसे तो बारह महीने ही यह किसी न किसी रूप में उपयोगी है किंतु इसके शीतलता के गुण की वजह से ग्रीष्म ऋतु में यह अत्यधीक लाभप्रद है। 
कैसे है यह गुणों का खजाना
1. इन दिनों अक्सर खाने-पीने में थोडी-सी गड़गड़ हुई नहीं कि अजीर्ण की शिकायत हो जाती है, ऐसे में पुदीने के रस में काला नमक मिलाकर चाट लेने से तुरंत असर करता है। 
2. अधिक गर्मी बहुत बार उल्टी-दस्त का कारण बन जाती है। जिससे रोगी कुछ ही देर में परेशान हो जाता है। ऐसे रेागी को पुदीने का शरबत बनाकर पिलाऐं। पुदीना चटनी की तरह पीसकर मिश्री या शक्कर के पानी में मिक्स करके छान लें। शीघ्र ही ताजा शरबत बन जाएगा। दही में पुदीना मिलाकर खिलाने से भी रोगी को रेाग से शीघ्र राहत मिलती है।
3. लू इन दिनों गंभीर समस्या है, इससे बचाव के लिए पुदीने की पत्तियों व जीरे को 4-5 घंटे भिगों दे। फिर इसे महीन पीस लें। इसमें नमक व हल्की-सी चीनी मिलाकर पेय बनाएँ और दिन में दो बार पिएँ। आप लू से बचे रहेंगे।
4. गर्मियों में जलन होना, पेशाब रूक-रूककर आना या कम होना जैसे रोगो में भी पुदीना रामबाण औषधि है, पुदीने की पत्तियाँ धोकर मिश्री और थोड़ा सा सूखा धनिया मिलाकर पीस लें। इस पेस्ट को पानी में घोल बनाकर छानकर दिन में 2-3 बार पीना फायदेमंद होता है।


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