स्वस्थ रहने के प्राकृतिक उपचार

Posted on 25-Jun-2015 03:20 PM




नाखून व बाल:-यदि आपके नाखून व बाल रूखे, खुरदरे बीच-बीच में टूटने वाले हों व नाखून व बालों में चमक नहीं हो तो प्रोटीन वाले भोजन में संशोधन करें।
पेशाब:- यदि आपको पेशाब ठीक नहीं आ रहा है कम व ज्यादा हो तो पानी का बेलेंस व उत्सर्जन तंत्र को ठीक करने की आवश्यकता है।
शौच:- यदि आपको शौच ठीक नहीं आ रहा है, कम या ज्यादा आ रहा है तो इस परिस्थिति में अपने भोजन में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। 
आँख:- यदि आपकी आँख में प्रतिदिन गीजड़ आ रही है तो आप समझें कि आपकी आँख में मल निकालने की क्षमता में कमी आ रही है। अतः आँखों में रोग होने की संभावना है। आँखों का उपचार कराने की आवश्यकता है।
जीभ:- यदि आपकी जीभ मैली या सफेद परत युक्त रहती है तो आपकों पाचन की दृष्टि से पाचक रसों का प्रयोग करने की आवश्यकता है।
नाक:- यदि आपकी नाक में मैल प्रतिदिन नहीं होता है तो नासिका व मस्तिष्क संबंधी रोग होने की संभावना है। अतः नाक का उपचार कराने की आवश्यकता है। कान:-यदि आपके कानों में मली (कान का मैल) का उत्सर्जन नहीं होता है तो कान संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
त्वचा:- यदि त्वचा से नियमित रूप से पसीना आता है या आप मेहनत करके पसीना निकालते हैं तो आपकी त्वचा स्वस्थ है। रोम कूप श्वेद ग्रंथियाँ, संवेदी ग्रंथियाँ सब ठीक ढंग से कार्य कर रही हैं। यदि त्वचा का वर्ण परिवर्तित हो रहा है तो इन आंतरिक ग्रंथियों के óाव पर निर्भर होता है। यदि त्वचा का वर्ण बदल रहा है तो लीवर व आंतरिक ग्रंथियों को ठीक करने की आवश्यकता है।
उत्सर्जन अधिक व कम करते हैं या इससे ज्यादा व कम होता है तो भी रोगों का कारण होता है। इन सभी की सम्यक व समानता होनी चाहिए।


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